बेचैन सी गुजर रही शबों की ,
आज़माइश है सुकून !
शोरों से लड़कर मैं चली ,
ख़रीदने थोड़ा सा सुकून !
ढूँढ रही सिमटी हुई ख़ुशियों मैं अपार सुकून !
बेचैन सी गुज़र रही शबों कीं ,
आज़माइश है सुकून !
लिखने को बैठी गुज़रे ज़माने की बातें ,
काग़ज़ों को उनका सुकून मिल गया !
मेरी रंजिशों को काग़ज़ों पे उतारा इस क़दर ,
मेरी गुमनाम से जीवन को एक सहारा मिल गया !
बड़ी खामोशी से लिखती हूँ हर उस पल को काग़ज़ों पे ,
जो कही मुझे चीखने पे मजबूर किया करती है !
आज़ाद हूँ उन भटकतीं राहों से जो ,
कभी मेरी परेशानियों का सबब हुआ करती है !
ग़मों को बाटने से अच्छा तो ,
उनसे खुद ही सुलझ लेना है सुकून !
ज़माने के ग़म और ख़ुशियों को कागज पे उतार लेना ,
बस यही है मेरा सुकून ...!!!!
Bechain Si Gujar Rahi Shabo Ki ,
Aazmaish Hai Sukoon !
Shoro Se Ladkar Main Chali ,
Kharidane Thoda Sa Sukoon !
Dhoondh Rahi Simati Hui Khushiyon Main Apar Sukoon !
Bechain Si Guzar Rahi Shabon Ki ,
Aazmaish Hai Sukoon !
Likhane Ko Baithi Guzare Zamane Ki Baate ,
Kagazon Ko Unka Sukoon Mil Gya !
Meri Ranjisho Ko Kagazon Pe Utara Is Qadar ,
Meri Gumnaam Se Jeevan Ko Ek Sahara Mil Gaya !
Badi Khamoshi Se Likhati Hu Har Uss Pal Ko Kagazon Pe ,
Jo Kahi Mujhe Cheekhne Pe Majboor Kiya Krati Hai !
Aazaad Hu Un Bhatakati Raaho Se Jo ,
Kabhi Meri Pareshaniyo Ka Sabab Hua Karti Hai !
Gamo Ko Batane Se Acha To ,
Unse Khud Hi Sulajh Lena Hai Sukoon !
Zamane Ke Gam Aur Khushiyon Ko Kagaj Pe Utar Lena ,
Bas Yahi Hai Mera Sukoon ...!!!!
3 Comments
बस यही है मेरा सुकून ...!!!!
ReplyDelete🙂 क्या खूब लिखा है
मुझे अन्दर से मुझे टूटने न दे
ReplyDeleteओ खुदा मुझे रूठने न दे
सूरज कपकपा रहा है
सुबह सुबह उसे डूबने न दे
बंजर हो रही है ज़मीं दिलो की
मेरे अश्क लेले इन्हें सूखने न दे
समंदर को गुरुर है अपनी गहराई का
लहरों में इसकी एक दुनिया डूबने न दे
तेरी हुकूमत पे चले ये दुनिया
सवाल किसी को पूछने न दे
अति सुन्दर priya 🌷🌷
बहू ही उम्दा।
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