खुद को पहचान खुद से नही संघर्षों से मिली
खुद को परखने की कला हालातों से मिली!
एक पल को लगा दुनिया बनायी तो जिसने,
उसको शक्ल आज़ाद परिंदो से मिली!
अब खुद को समझना आसान नही है हर
दूसरा कुछ सिखा जाता है!
शायद क़ाबिलियत भी अब मोहताज है दूसरों की !
क्यू?सवाल उठते है?अपनी ही क़ाबिलियत पर !
तनाव,उग्रता से जीवन की परिभाषा बदल सी गयी है,खुशी कही दूर बिखर और सिमट सी गयी है!
जीवन भर ख़ुशी का मकान बनाते रहता है!
वो जो वर्तमान को भी दाँव पर लगा देता है!
नही जानते की खुशी मंज़िल पाने में नही
सफ़र को संभल कर जीने में है !
लालच करता हर कोई की सीख जाऊ ज़िंदगी को जीने का तरीक़ा,
जो उलझा है अपनी ही की उलझन में!
शांत पानी की तरह जीना जिनमें गहराई हो
ठहर इस तरह की एक पत्थर की हिम्मत ना हो शोर करने में!
रात तो नीति है आयगी,सवेरा लाने की हिम्मत रख!
गाँठे खोल अपनी ही समस्याओं कीं मिलेगी जीत बस हिम्मत रख ....!!!
1 Comments
Last 4 lines extremely good!!
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